भारत की मिट्टियाँ : भाग-2

लैटेराइट मिट्टी Download

          लैटेराइट मिट्टी का निर्माण दो परिस्थितियों में होता है –

(i)     200 सेमी० से अधिक वार्षिक वर्षा

(ii)    अधिक गर्मी

          उपरोक्त दोनों परिस्थितियाँ भारत में तीन क्षेत्रों में पायी जाती है –

(i)     पश्चिमी घाट पर

(ii)    उड़ीसा तट पर

(iii)   शिलांग पठार पर

Soil Types
Soil Types
  • उड़ीसा तट पर सर्वाधिक वर्षा उष्णकटिबंधीय चक्रवातों द्वारा होती है
  • लैटेराइट मिट्टी  उच्च  तापमान और अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है |
  • भारत में लैटेराइट मिट्टी का सर्वाधिक क्षेत्रफल केरल में तथा दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र में है, क्योंकि इन राज्यों में पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल के सहारे 200 सेमी० से अधिक वार्षिक वर्षा होती है | साथ ही विषुवत् रेखा के समीप होने के कारण इन क्षेत्रों में गर्मी भी बहुत अधिक पड़ती है |

          भारत में लैटेराइट मिट्टी के क्षेत्र –

(a)    सह्याद्रि       

(b)    तमिलनाडु की सेवाराय पहाड़ी

(c)    उड़ीसा तट  

(d)    झारखण्ड की राजमहल पहाड़ियों पर

(e)    असम में मिकिर तथा रेगमा पहाड़ी और मेघालय में शिलांग पठार पर

  • लैटेराइट मिट्टी, जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी और लाल मिट्टी के बाद भारत में चौथा सबसे बड़ा मृदा वर्ग है |
  • लैटेराइट मिट्टी का रंग ईंट जैसा होता है | ईंट बनाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टी लैटेराइट मिट्टी होती है |
  • लैटेराइट मिट्टी में ह्यूमस, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश चारों तत्वों की कमी पायी जाती है |
  • लैटेराइट मिट्टी में लोहे तथा एल्यूमिनियमकेआक्साइड पाये जाते हैं| लोहे के आक्साइड के कारण ही लैटेराइट मिट्टी का रंगलाल होता है |
  • अधिक वर्षा के कारण और क्रम से भीगने तथा सूखने के कारण इन क्षेत्रों की मिट्टी में सिलिका तत्व पानी के साथ रिसकर मिट्टी के निचले सिरे में चला गया है, अर्थात् सिलिकापदार्थ का निक्षालन हो गया है | अत: यह कहा जा सकता है कि लैटेराइट मिट्टी का निर्माण सिलिका के निक्षालन से हुआ है |
  • लैटेराइट मिट्टी निक्षालन क्रिया द्वारा निर्मित मिट्टी है इसलिए यह एक अनउपजाऊ मिट्टी है | यहाँ चाय, कॉफी, मसाला, काजू और सिनकोना आदि की खेती की जाती है |
  • चाय की कृषि के लिए अम्लीय मृदा अधिक उपयुक्त होती है |

मरूस्थलीय मिट्टी

  • मरूस्थलीय मिट्टी का विस्तार भारत के पश्चिमी भाग के शुष्क क्षेत्रों में हुआ है | उदाहरण के लिए – राजस्थान तथा आस-पास के क्षेत्रों में |
  • मरूस्थलीय मिट्टी का विस्तार भारत में दक्षिणी पंजाब, दक्षिणी हरियाणा, समग्र राजस्थान और गुजरातके कच्छ क्षेत्र में है |
  • मरूस्थलीय मिट्टी में खाद्यान्नों की खेती सम्भव नहीं है, इसलिए यहाँ मोटे अनाज जैसे – ज्वार, बाजरा और सरसों आदि की खेती की जाती है | इन सभी के उत्पादन में राजस्थान पहले स्थान पर है |
  • राजस्थान में जहाँ सिंचाई का प्रबन्ध है वहां पर खाद्यान्नों की कृषि की जाती है | राजस्थान के एक जिला श्री गंगा नगर जो पंजाब और पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है, वहाँ सिंचाई द्वारा कृषि की जाती है |

पर्वतीय मिट्टी

  • पर्वतीय मिट्टीका विस्तार हिमालय के साथ-साथभारत में कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में है |
  • हिमालय पर जीवों और वनस्पतियों की प्रचुरता है इसलिए हिमालय की मिट्टी में ह्यूमस की अधिकता है |
  • ह्यूमस की अधिकता के कारण पर्वतीय मिट्टी में अम्लीयता के गुण पाए जाते हैं |यहाँ पर्वतीय ढालों पर सेब, नाशपाती और चाय आदि की खेती की जाती है |
  • पर्वतीयमिट्टी पूर्ण विकसित मिट्टी नहीं मानी जाती है, ये निर्माणाधीन अवस्था में है |

 

Leave a Message

Registration isn't required.


By commenting you accept the Privacy Policy

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Usernicename
K. K. Verma
May 12, 2020, 6:29 pm

Sir, to start making videos on selected questions will be definitely a one more mile stone in the journey of our desired goal. Eagerly waiting for that videos. Will be a good initiative.........

Usernicename
Naresh choudhary
March 5, 2020, 8:49 am

???