बक्सर का युद्ध
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- प्लासी के युद्ध में विजय के बाद अंग्रेजों ने मीर जाफर को बंगाल का नवाब नियुक्त किया| बंगाल का नवाब नियुक्त किये जाने पर मीर जाफर ने अंग्रेजों को 24 परगना की जमींदारी प्रदान करके बंगाल की सभी फ्रांसीसी बस्तियों को अंग्रेजों को सौंप दिया था|इसके अतिरिक्त उसने क्लाइव को 20 लाख रुपये की व्यक्तिगत भेंट भी प्रदान की थी|
- प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल में कंपनी एक राजनैतिक शक्ति के रूप में उभरी तथा बंगाल में वह सर्वोच्च शक्ति के रूप में स्थापित हो गई| प्लासी के युद्ध में विजय के पश्चात्भारत में कंपनी अब “नृप निर्माता” (King Maker)की भूमिका मेंअपना वर्चस्व स्थापित कर चुकी थी|
- बंगाल का नवाब बनाये जाने से खुश होकर मीर जाफर ने अंग्रेजों को बहुत अधिक मात्रा में धन संपत्ति तथा अनेक व्यापारिक तथा राजनैतिक अधिकार करने की छूट प्रदान की थी किन्तु कालांतर में अंग्रेजों का लालच बढ़ता गया|अंग्रेज अब बंगाल से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते थे|क्लाइव और कंपनी की बढती मांगों केकारण नवाब की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही थी|
- नवाब मीर जाफर कंपनी की असीमित मांगों को पूरा करने में असफल रहा, परिणामस्वरूप अंग्रेजों नेअक्टूबर, 1760 ई०मेंमीर जाफर को बंगाल के नवाब के पद से हटाकर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नया नवाब नियुक्त किया|
- मीर कासिम, 1760 ई० से लेकर 1763 ई० तक बंगाल का नवाब रहा|अलीवर्दी खां के परवर्ती नवाबों में से मीर कासिम सर्वाधिक योग्य व्यक्ति था|
- अंग्रेजों के हस्तक्षेप और दरबार के षड्यंत्रों से बचने के लिए मीर कासिम ने चार महत्वपूर्ण कदम उठाये, जो निम्नलिखित हैं –
- मीर कासिम ने अपने प्रशासनिक कार्यों में अंग्रेजों के हस्तक्षेप को कम करने के लिए अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थापित किया|
- सैनिकों को आधुनिक ढंग से प्रशिक्षित किया|
- तोपों एवं बंदूकों का निर्माण करने के लिये कारखाने की स्थापना करवाई|
- अंग्रेजों द्वारा दस्तक के दुरूपयोग को कम करने के लिये मीर कासिम ने आतंरिक व्यापार के सभी शुल्कों की समाप्ति करदी|
- मीर कासिम द्वारा समाप्त की गई व्यापारिक कर का लाभ अब सभी भारतीयों को भी मिलने लगा था| इससे पहले यह लाभ 1717ई०के फरमान द्वारा केवल अंग्रेजों को ही प्राप्त होता था| अंग्रेजों ने नवाब के इस निर्णय को अपने विशेषाधिकार के हनन के रूप में लिया|यही बक्सर के युद्ध का प्रमुख कारण बना|
- अंग्रेजों ने 1763 ई० में मीर कासिम को बंगाल के नवाब के पद से हटाकर पुनः मीर जाफर को बंगाल का नवाब नियुक्त किया|इसके परिणामस्वरूप मीर कासिम ने अंग्रेजों के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन तैयार किया|इस सैन्य गठबंधन में तीनसेनाओं ने संयुक्त रूप से भाग लिया था –
- मीर कासिम
- मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय
- अवध का नवाब शुजाउद्दौला
- बक्सर का युद्ध,1764 ई० में लड़ा गया था|इस युद्ध में एक तरफ अंग्रेजी सेना का नेतृत्व हेक्टर मुनरो कर रहा था जबकि दूसरी तरफमीर कासिम,मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय और अवध के नवाब शुजाउद्दौला की संयुक्त सेना थी|मीर कासिम की सेना का नेतृत्व गुर्गिन खां के द्वारा किया गया था|
- बक्सर के युद्ध में शुजाउद्दौला, मीर कासिम और शाहआलम द्वितीय के नेतृत्व वाली संयुक्त सेना की पराजय हुई|बक्सर का युद्ध सैन्य दृष्टिकोण से अंग्रजों की बहुत बड़ी सफलता थी|
- बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों की वास्तविक विजय हुई थी,क्योंकि बक्सर का युद्ध प्लासी के युद्ध के सामान कोई षड़यंत्रकारी युद्ध नहीं था बल्कि यह भारत में तीन महत्वपूर्ण सेनाओं पर अंग्रेजी सेना की विजय थी|
- प्लासी के युद्ध (1757ई०)ने बंगाल में अंग्रेजों की श्रेष्ठता स्थापित की थी, जबकि बक्सर के युद्ध (1764ई०)ने अंग्रेजों को अखिल भारतीय शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया|
- बक्सर के युद्ध में मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय के पराजय से संपूर्ण भारत में यह संदेश प्रसारित हो गया कि अंग्रेज अजेय हैं,इन्हें पराजित करना संभव नहीं है|
- बक्सर के युद्ध में पराजित होने के बाद शाहआलम द्वितीय, अंग्रेजों की शरण में आ गया और अवध का नवाब शुजाउद्दौला ने भीमई, 1765 ई० में अंग्रेजों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया|
- बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर जाफर था|1765ई० में मीर जाफर की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने उसके पुत्र नज्मुद्दौला को अपने संरक्षण में रखकर उसे बंगाल का नवाब नियुक्त कर दिया|
- मई, 1765 ई० में राबर्ट क्लाइव दूसरी बार बंगाल का गवर्नर बनकरभारत आया और इसी वर्ष इसने मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय और अवध के नवाब शुजाउद्दौला से संधि कर ली|