बहुउद्देशीय परियोजनाएँ भाग-2
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चम्बल परियोजना
- चम्बल नदी मध्य प्रदेश में मालवा के पठार से निकलकर राजस्थान होते हुए उत्तर प्रदेश में इटावा के पास यमुना नदी से मिलती है|
- चम्बल नदी के पानी का उपयोग करने के लिए इस पर तीन बाँध बनाए गए हैं –
(a) जवाहर सागर बाँध (राजस्थान)
(b) राणा प्रताप सागर बाँध (राजस्थान)
(c) गांधी सागर बाँध (मध्य प्रदेश)
- चम्बल परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है |
नर्मदा घाटी परियोजना
- नर्मदा नदी के जल का प्रयोग करने के लिए नर्मदा घाटी परियोजना की शुरूआत की गयी है |इस परियोजना के तहतअनेक बाँधों का निर्माण किया जा रहा है | इनमें से चार प्रमुख इस प्रकार हैं-
(a) नर्मदा सागर परियोजना (मध्य प्रदेश )
(b) ओंकारेश्वर परियोजना (मध्य प्रदेश )
(c) माहेश्वर परियोजना (मध्य प्रदेश )
(d) सरदार सरोवर परियोजना (गुजरात)
सरदार सरोवर परियोजना
- सरदार सरोवर परियोजना चार राज्यों (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात औरराजस्थान) की संयुक्त परियोजना है |
- इस परियोजना से लाभान्वित होने वाला प्रमुख राज्य गुजरातहै| इस परियोजना सेगुजरात के पश्चिमी शुष्क क्षेत्र में नहरों के द्वारा जल का प्रयोग किया जायेगा|
- इस परियोजना से सबसे अधिक घाटा मध्य प्रदेश राज्य को होगा, क्योंकि बाँध के पीछे का जल स्तर ऊँचा उठने के कारण वह क्षेत्र हमेशा के लिए बाढ़ की चपेट में आ जायेगा जिसके कारण मध्य प्रदेश में पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा |
- नर्मदा बचाओ आन्दोलन की शुरुआत इस परियोजना के विरोधस्वरुप हुई थी |
- नर्मदा नदी भारत की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है |
गंगा | 2525 किमी. |
गोदावरी | 1465 किमी. |
कृष्णा | 1400 किमी. |
यमुना | 1385 किमी. |
नर्मदा | 1312 किमी. |
- गोदावरी औरकृष्णा के बाद नर्मदा प्रायद्वीपीय भारत की तीसरी सबसे लम्बी नदी है |
- नर्मदा नदीअरब सागर में जल गिराने वाली सबसे लम्बी नदी है |
- नर्मदाका जलग्रहण क्षेत्र तीन राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में है |
- नर्मदा का 86% जलग्रहण क्षेत्र मध्य प्रदेश में,12% गुजरात में तथा 2% महाराष्ट्र राज्य के अन्तर्गत आता है |
केन-बेतवा लिंक परियोजना
- बेतवाऔर केन यमुना नदी की सहायक नदियाँ हैं |
- बेतवा और केन ये दोनों नदियाँ उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश राज्य में प्रवाहित होती हैं |
- इस परियोजना से ये विचार आया कि अगर केन और बेतवा को एक नहर के माध्यम से जोड़ दिया जाये तो दोनों राज्यों के पानी की कमी वाले कई क्षेत्रों की पेयजल व सिंचाई के लिए पर्याप्त जल उपलब्ध हो सकेगा | इन नदियों के बीच बुंदेलखंड का क्षेत्र है, जहाँ कम वर्षा होती है |
- यह परियोजना 25 अगस्त, 2005 को प्रारम्भ की गई थी |
- नदी जोड़ों परियोजना को अमृत क्रान्ति का नाम दिया गया है |
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना
- इंदिरा गाँधी नहर परियोजना विश्व की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है| दूसरे शब्दों में इंदिरा गाँधी नहर परियोजना विश्व की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है|इसका उद्देश्य राजस्थान के पश्चिमीशुष्क जिलों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है|
- पंजाब में सतलज और व्यास नदी कपूरथला के निकट जहाँ मिलती हैं, वहाँ हरिके बैराज नामक बांध का निर्माण किया गया है |
- हरिके बैराज बांध से एक नहर निकाली गई है, जिसे राजस्थान फीडर नहर कहते हैं|
- राजस्थान फीडर नहर ही इंदिरा गाँधी नहर को जल की आपूर्ति करती है |
- इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान के मुख्य रूप से चार जिलों को जल की आपूर्ति करती है |
- उत्तर से दक्षिण की ओर इन जिलों का क्रम निम्नलिखित है – गंगा नगर , बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर|
- इंदिरा गाँधी नहर से ही राजस्थान के पश्चिमी जिलों में कृषि संभव हो सका है |
टिहरी बांध परियोजना
- टिहरी बांध उत्तराखंड राज्य में भागीरथी और भिलांगना नदियों के संगम पर बनाया गया है|
- टिहरी बांध भूकम्प क्षेत्र 5 के अंतर्गत आता है |
- हिमालय भूकम्प के लिहाज से सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र है, अर्थात् यहाँ रिक्टर स्केल पर 8 या इससे अधिक तीव्रता के भूकम्प आने की संभावना बनी रहती है |
Dinesh Kumar
March 6, 2023, 7:56 amGood, thanks
Rakesh kumar
July 31, 2020, 11:37 amsir ap bhut achha pdate
Pravendra kumar yadav
June 23, 2020, 5:52 amsir me apke channel se judne se phle mujhe geography me bhut kam samajh me ata tah aj me pcs me giography ko mens ka sub bnayahu maine apke poore vidio se notes bnaya hai me apka dil se shukragujar hu