भारत की मिट्टियाँ : भाग-3
पीट एवं दलदली मृदा Download
- केरल तथा तमिलनाडु के तट पर जहाँ अधिक वर्षा के कारण जल जमाव होता है, ऐसे क्षेत्रों में जल जमाव के कारण पीट मिट्टी का निर्माण हुआ है |
- पीट मृदा का निर्माण मुख्य रूप से गीली मिट्टी में वनस्पतियों के सड़ने से होता है इसलिए पीट मिट्टी में ह्यूमस की अधिक मात्रा पायी जाती है |
- दलदली मिट्टी पीट मिट्टी से अधिक गीली होती है |दलदली मिट्टी सुन्दर वन तथा उड़ीसा तट पर पायी जाती है |
- भारत में दलदली मिट्टी पर सबसे ज्यादा ह्यूमस की मात्रा (लगभग 45 से 50%)पायी जाती है |
- दलदली मिट्टी मुख्य रूप से तटीय क्षेत्रों में पायी जाती है, जहाँ समुद्र का पानी ज्वार के रूप में स्थलीय क्षेत्रों में पहुँच जाता है |
लवणीय और क्षारीय मिट्टी
- लवणीय और क्षारीय मिट्टी का निर्माण अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों मेंहोता है |
- हरित क्रान्ति के क्षेत्र जैसे –पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में नहरीय क्षेत्रों वाले स्थानों पर लवणीय मृदा का निर्माण हुआ है |
- लवणीय और क्षारीय मृदा को रेह और कल्लर के नाम से भी जानते हैं | ऐसी मृदा में लवण प्रतिरोधी फसल ही उगाई जाती है |जैसे – बरसीम, धान और गन्ना आदि|
विश्व भर की मिट्टियों को 11 वर्गों में बाँटा गया है| इन वर्गों में भारत की कुछ मिट्टियाँ भी शामिल हैं,जो निम्नलिखित हैं –
- इंसेप्टीसॉल – इसके अन्तर्गत गंगा और ब्रह्मपुत्र घाटी की मिट्टी को शामिल किया जाता है |
- वर्टीसॉल – इसके अन्तर्गत दक्कन पठार की काली मिट्टी को शामिल किया गया है |
- ऐरिडीसॉल -ऐसे क्षेत्र जहाँ पर वर्षा की कमी होती है वहाँ इस प्रकार के मिट्टी का निर्माण होता है | इसके अन्तर्गत राजस्थान की मरूस्थली मिट्टी को शामिल किया गया है |
- हिस्टोसॉल – इसके अन्तर्गत पीट और दलदली मिट्टी को शामिल किया गया है जो केरल और तमिलनाडु के तट पर पायी जाती है |
- ऑक्सीसॉल – इसके अन्तर्गत केरल के लैटेराइट मिट्टी को शामिल किया जाता है |
- केन्द्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड का गठन 1953 ई. में हुआ था |
- क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक बंजर भूमि राजस्थान में पायी जाती है |
- कुल क्षेत्रफल की प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक बंजर भूमि जम्मू-कश्मीर राज्य में है |
- सर्वाधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र राजस्थान राज्य में है |
- सर्वाधिक लवणीय मृदा क्षेत्र गुजरात राज्य में कच्छ जिला है |
- सर्वाधिक क्षारीय मृदा क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य में है |
- लाल मिट्टी का निर्माण जलवायविक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप रवेदार एवं कार्यान्तरित शैलों के विघटन एवं वियोजन से होता है |
- लाल मिट्टी में सिलिका एवं आयरन की बहुलता होती है |
- लाल मिट्टी का लाल रंग फेरिक आक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है, लेकिन जलयोजित रूप में यह पीली दिखाई देती है |
- मृदा संरक्षण के अन्तर्गत वे सभी उपाय सम्मिलित है जो मिट्टी को अपरदन से बचाते हैं और उसकी उर्वरता को बनाए रखते हैं |
भारत में मृदा अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र क्रमश: इस प्रकार है –
(a) चम्बल एवं यमुना नदियों का उत्खात भूमि क्षेत्र
(b) पश्चिमी हिमालय का गिरिपदीय क्षेत्र
(c) छोटा नागपुर का पठार
(d) ताप्ती से साबरमती घाटी तक का क्षेत्र (मालवा पठार आदि)
(e) महाराष्ट्र का काली मिट्टी क्षेत्र
(f) हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के शुष्क क्षेत्र
मृदा अपरदन को रोकने के कुछ प्रभावी उपाय इस प्रकार हैं –
(a) वृक्षारोपण (यह सर्वाधिक सशक्त उपाय है)
(b) सोपानी अथवा समोच्चरेखीय कृषि
(c) अतिचारण एवं स्थानान्तरित कृषि पर रोक लगाना
(d) मेड़बंदी
Mahipal maurya
March 22, 2020, 4:10 pmSir please puri kra dijiye Dhanyabad
Nishant Kumar
March 13, 2020, 9:43 pmश्रीमान आलोक सर, आप ने भूगोल को एक गरीब तैयारी करने वाले बच्चे के लिए अति सुलभ और अंक प्रदाई बना दिया है , इस उत्कृष्ट कार्य के लिए आपको साधुवाद,,,