वृष्टि छाया प्रदेश
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- हवाएँ पर्वत के जिस ढाल से टकराती हैं, उसे पवन सम्मुख ढाल कहते हैं|
- हवाएँ पर्वत के जिस ढाल के सहारे नीचे उतरती हैं, उसे पवन विमुख ढाल कहते हैं|
- समुद्र से आने वाली हवाएँ अथवा मानसूनी हवाएँपर्वत के सामने वाली ढाल से टकराकर पवन सम्मुख ढाल पर तो खूब वर्षा करती हैं, लेकिन मानसूनी हवाएँ पवन विमुख ढाल पर या तो बिल्कुल वर्षा नहीं करती हैं या बहुत कम वर्षा करती हैं| अत: पवन विमुख ढाल को वृष्टि छाया प्रदेश कहते हैं, क्योंकि यहाँ वर्षा नहीं हो पाती है | उदाहरण के लिए – भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के अरब सागर शाखा पश्चिमी घाट पर्वत से टकराकर पश्चिमी ढाल तथा पश्चिमी तटीय मैदान पर 250 सेमी० से भी अधिक वार्षिक वर्षा करती है|
- वहीं जब ये हवाएँ पश्चिमी घाट पर्वत को पार करके पश्चिमी घाट पर्वत के पूर्वी ढाल के सहारे नीचे उतरती हैं, तो पूर्वी ढाल में स्थित क्षेत्रों में वर्षा नहीं हो पाती है, अर्थात् पश्चिमी घाट पर्वत का पूर्वी ढाल क्षेत्र वृष्टि छाया प्रदेश कहलाता है |
वृष्टि छाया प्रदेश के निर्माण के दो प्रमुख कारण हैं –
(i) समुद्र से आने वाली मानसूनी हवाएँ अपनी अधिकांश नमी पवन सम्मुख ढाल पर छोड़ देती हैं,जिसके चलते जब ये हवाएँ पश्चिमी घाट पर्वत के पूर्वी ढाल पर उतरती हैं, तो इनमें नमी की मात्रा कम हो जाती है, जिसके चलते ये हवाएँ वर्षा नहीं कर पाती है |
(ii) जब हवाएँ पवन सम्मुख ढाल को पार करके पवन विमुख ढाल के सहारे नीचे उतरती हैं तो नीचे उतरने वाली हवाओं के तापमान में एडियाबेटिक ताप वृद्धि के चलते हवाओं के तापमान में वृद्धि हो जाती है, गर्म हवाओं की सापेक्षिक आर्द्रता घट जाती है और ये हवाएँ वर्षा नहीं कर पाती हैं, इसलिए पवन विमुख ढाल कोवृष्टि छाया प्रदेश कहते है |उदाहरण के लिए-पश्चिमी घाट का पूर्वी ढाल वृष्टि छाया प्रदेश के अन्तर्गत आता है|
वृष्टि छाया प्रदेश के अन्तर्गत तीन प्रदेश शामिल हैं –
(i) महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र
(ii) आंध्रप्रदेश का तेलंगाना क्षेत्र
(iii) कर्नाटक का उत्तरी कर्नाटक पठार
- वृष्टि छाया प्रदेश में वर्षा नहीं हो पाती है, इसलिए यहाँ कंटीली झाड़ियों वाली वनस्पतियाँ पायी जाती हैं|
महत्वपूर्ण तथ्य-
- कोरोमंडल तट पर उत्तरी-पूर्वी मानसून से वर्षा होती है तथाबंगाल की खाड़ी में बनने वाले उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से भी वर्षा होती है|
- पश्चिमी विक्षोभ एक शीतोष्ण चक्रवात है| इसकी उत्पत्ति भूमध्य सागर के ऊपर से होती है और यह पश्चिमी जेट धारा के माध्यम से भारत में प्रवेश कर जाती है|
- राजस्थान में स्थित माउन्टआबू पर्वतचोटी पर दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखाद्वारा वर्षा होती है|
- मानसून अरबी भाषा का शब्द है |
- मानसून पूर्व फ़व्वार विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक राज्यों की विशेषता है|
- ‘बंगाल का शोक’दामोदर नदी को कहते हैं|
- प्राणहिता, पेनगंगा और वेनगंगा‘गोदावरी नदी’ की सहायक नदियाँ हैं |
- तीस्ता नदी का उद्गम स्थल जेमू-ग्लेशियर है |
- जेमू-ग्लेशियर सिक्किम राज्य में स्थित है |
- गोदावरी नदी दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी है |
- हरिश्चन्द्र श्रेणी औरबालाघाट श्रेणी महाराष्ट्र राज्य में स्थित है |
- ऊंटी तमिलनाडु राज्य में नीलगिरी पर्वत पर स्थित है |
- दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी डोडाबेट्टा नीलगिरि पर्वत पर तमिलनाडु राज्य में स्थित है |
- नीलगिरि पर्वत का विस्तार तीन राज्यों तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक राज्य में है |
- यमुना नदीहिमालय से निकलने वाली गंगा की सहायक नदी है जो गंगा नदी से दाहिने तट पर आकर मिलती है |
- गोरखपुर राप्ती नदी के तट पर स्थित है |
- राप्ती नदी घाघरा नदी की सहायक नदी है |
- झारखण्ड राज्य की राजधानीराँची कर्क रेखा पर स्थित है |
- पांडिचेरी के अन्तर्गत चार जिले हैं जिनका विस्तार तीन राज्यों में है –
जिला | राज्य |
माहे | केरल |
कराइकल,पांडिचेरी | तमिलनाडु |
यनम | आंध्रप्रदेश |
- भारत का त्रिपुरा राज्य तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है |