अधात्विक खनिज

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  • धात्विक खनिज आग्नेय चट्टानों से प्राप्त होते हैं जबकि अधात्विक खनिजपरतदार अथवा अवसादी चट्टानों से प्राप्त होते हैं |
  • चट्टानें कभी भी स्थिर अवस्था में नहीं रहती हैं बल्कि प्रकृति के अनेक कारक बल जैसेनदी, वायु, वर्षण, सुर्याताप इसके साथ ही साथ पर्वतों पर उगने वालीवनस्पतियाँ तथा कुछ हद तक जमीन में बील बनाकर रहने वाले जीव-जंतु भी चट्टानों को निरंतर कमजोर करते रहते हैं |इन कारक बलों के प्रभाव के कारण चट्टानों का निरंतर क्षय होता रहता है |
  • आग्नेय चट्टानों का अनेक भौतिक कारकों के द्वारा अपक्षय होता रहता है |इन कारकों मेंनदियाँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं| नदियाँ निरंतर चट्टानों को कांट-छांट कर अपने साथ बहाकर ले जाती हैं|
  • नदियाँ अपने साथ बहाकर लाये गये अवसादों को समुद्र केतटीय क्षेत्रों में अपरदित कर देती हैं, जिससे समुद्र के भीतर तटीय क्षेत्रों में परत दर परत अवसादों का जमाव होने लगता है| इन अवसादों के जमावतथा अत्यधिक ताप एवं दाब के कारण अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है |
  • अधात्विक खनिजों के अन्तर्गत हीरा, अभ्रक, चूनापत्थर, ऐसबेस्टस, डोलोमाइट, काइनाइट, सिलिमेनाइट और नमक आदि को शामिल किया जाता है |

हीरा (Dimond)

  • हीरा प्रकृति में कार्बन का सर्वाधिकशुद्धरूप है |
  • प्रत्येक वस्तुओं का निर्माण परमाणुओं केसंयोजन से होता है |जिन वस्तुओं में परमाणुओं का जितना अधिक संयोजन होगा वह वस्तु स्वभावत: उतना ही मजबूत होगा | उदाहरण के लिए– ब्लैक बोर्ड पर लिखने में उपयोग किये जाने वाले चॉक का परमाणु बन्ध/संयोजन कमजोर होने के कारण ही चॉक से लिख पाना संभव होता है |
  • हीरे में प्राप्त परमाणु संयोजन/परमाणु बन्ध मजबूत होने के कारण ही हीरा प्रकृति में एक जटिल पदार्थके रूप में पाया जाता है |
  • प्रकृति में कार्बन एक ऐसा तत्व है जो सबसे ज्यादा बन्ध बनाता है | अर्थात् अनेक प्रकार से कार्बन के परमाणु आपस में मिलकर अलग-अलग बन्ध बनाते हैं|जैसे – ग्रेफाइट |
  • ग्रेफाइट कार्बन परमाणुओं का ही एक बन्ध है | पेंसिल में लगाया जाने वाला लेड ग्रेफाइट का ही रूप है |ग्रेफाइट में कार्बन परमाणुओं का बन्ध कमजोर होने के कारण ही हम पेंसिल से लिख पाने में सक्षम होते हैं |
  • हीरे में परमाणु बन्ध के मजबूत होने के कारण ही हीरा प्रकृति का सबसे शुद्ध रूप और प्रकृति का सबसेमजबूत तत्व होता है |
  • हीरा भारत में मध्य प्रदेश राज्य के अन्तर्गत पन्ना एवं सतनाकी खानों से निकाला जाता है | हालाँकि वर्तमान समय में हीरे का उत्पादन केवल मध्य प्रदेश के पन्ना की खान से ही होता है |
  • मध्य प्रदेश से प्राप्त हीरा विंध्यन क्रम की चट्टानों की शिराओं में प्राप्त होता है |
  • विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीराआंध्र प्रदेश के गोलकुण्डा की खान से प्राप्त किया गया था |
  • भारत में मुम्बई(महाराष्ट्र)में हीरे की सबसे बड़ी मंडी है, जबकि हीरे की प्रोसेसिंग (कटाई-छटाई) सूरत (गुजरात) शहर में होती है |
  • हीरे की कटाई-छटाईप्रकाश के पूर्ण आतंरिक परावर्तन के लिए की जाती है |प्रकाश के पूर्ण आतंरिक परावर्तन के कारण ही कोई वस्तु चमकती हुई दिखाई देती है |उदाहरण के लिए- रेगिस्तान में दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे वहाँ कोई झील हो किन्तु नजदीक जाने पर वहाँकोई झील नही होती है |इसका करण यह है कि आप उस स्थान से इतने दूर होते हैं किवहाँ से गुजरने वाले प्रकाश का पूर्णआतंरिक परावर्तन हो चुका रहता है जिससे वह स्थान पानी के समान चमकता हुआ दिखाई देता है |

चूना पत्थर

  • चूना पत्थर एक ऐसा अधात्विक खनिज है जो भारत के लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है |
  • चूना पत्थर का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश है |
  • विंध्यन क्रम की चट्टानों में भवन निर्माण की सामग्री जैसे – डोलोमाइट, जिप्सम, संगमरमर आदि पाया जाता है |किन्तुचूना पत्थर कुडप्पा क्रम की चट्टानों में पाया जाता है |
  • चूना पत्थर के उत्पादन में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान अग्रणी राज्य हैं |
क्रोमाइट
क्रोमाइट

अभ्रक

  • अभ्रक का प्रमुख अयस्क पिग्माइट है | इसके अलावा अभ्रक के अन्य अयस्क मस्कोबाइट, बायोटाइट और फ्लोगोबाइट हैं |
  • मस्कोबाइट अभ्रक को श्वेत अभ्रक या रूबी अभ्रक भी कहते हैं |
  • बायोटाइट अभ्रक को श्याम अभ्रक जबकि फ्लोगोबाइटअभ्रक को पीत अभ्रक भी कहते हैं |
  • अभ्रक की तीन प्रमुख रूपों में पाया जाता है-
  • अभ्रक या रूबी अभ्रक
  • श्याम अभ्रक
  • पीत अभ्रक

 

  • प्राकृतिक अभ्रक के उत्पादन में भारत का विश्व में चौदहवां स्थान है |
  • भारत में अभ्रक से शीट (पतली चादर) बनायी जाती है| इसेशीट माइका कहा जाता है | इसका उपयोग अनेक उद्योगों में किया जाता है |भारत का शीट माइका अर्थात् अभ्रक शीट के उत्पादन में प्रथम स्थान है |
  • भारत में कुल उत्पाद का लगभग 50 प्रतिशतशीट माइकाका उत्पादन झारखण्ड राज्य में होता है |
  • अभ्रक केविद्युत का कुचालक होने के कारण इसका उपयोग विद्युत सामग्रियों के निर्माण में किया जाता है |

जिप्सम

  • जिप्सम का प्रमुख उपयोग सीमेंट उद्योग में तथा रासायनिक उर्वरक बनाने में किया जाता है |
  • भारत में 99 प्रतिशत जिप्सम उत्पादन राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिला में होता है |

सेलखड़ी अथवा स्टीएटाइट

  • भारत में सेलखड़ी अथवा स्टीएटाइट के उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है |

डोलोमाइट

  • जब चूना पत्थर में मैग्नीशियम की मात्रा 45 प्रतिशत से अधिक होती है तो इसे डोलोमाइट कहा जाता है |इसका उपयोग मुख्यतः इस्पात निर्माण में किया जाता है |
  • डोलोमाइट के उत्पादन में ओडिशा का प्रथम स्थान है |वैसे तो डोलोमाइटहल्के गुलाबी रंग का होता है किन्तु डोलोमाइट कभी-कभी रंगहीन अवस्था में पाया जाता है |अर्थात् इसका कोई रंग नही होता है |

नमक

  • भारत में लगभग 60 प्रतिशत नमक का उत्पादन गुजरात राज्य में होता है | देश का 10 प्रतिशत नमक राजस्थान राज्य के सांभर, लुनकरसर, डिंडवाना और पंचभद्रा झीलों से प्राप्त होता है |
  • भारत में नमक की प्राप्ति तीन स्त्रोतों से होती है-
  • समुद्र जल से
  • खारे पानी की झीलों से
  • गुजरात एवं हिमांचल प्रदेश की खादानों से

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