दक्षिण अमेरिका महाद्वीप – 2
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- दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के पश्चिमी तट पर कोलम्बिया सेलेकर चिली तक एण्डीज पर्वत का विस्तार है | एण्डीज पर्वत विश्व की सबसे लम्बी पर्वत श्रृंखला है | एण्डीज पर्वत की सबसे ऊँची चोटी का नाम एकांकागुआ(Aconcagua) है | एकांकागुआ पर्वत चोटीचिली(Chile)में स्थित है |
- अमेजन नदी एण्डीज पर्वत से निकलकरपेरूऔर ब्राजील में प्रवाहित होते हुए अटलांटिक महासागर में अपना जल गिराती है||अमेजन नदी का मुहाना विषुवत रेखा पर स्थित है |
- विषुवत रेखा दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के तीन देशों से होकर गुजरती है |पश्चिम से पूर्व की ओरइन देशो का क्रमइस प्रकार है – इक्वेडोर, कोलम्बिया और ब्राजील |
- अमेजन नदी विश्व की दूसरी सबसे लम्बी नदी है|विश्व की सबसे लम्बी नदी नील नदी है | नील नदी अफ्रीका महाद्वीप में प्रवाहित होती है |
- यद्यपि अमेजन नदी विश्व की दूसरी सबसे लम्बी नदी है किन्तु विश्व में सबसे बड़ा जलग्रहण क्षेत्र अमेजन नदी का है | विश्व में कोई भी नदी अकेले नहीं प्रवाहित होती है बल्कि इसका एक जलग्रहण क्षेत्र होता है |मुख्य नदी के जलग्रहण क्षेत्र में अनेक छोटी-छोटी सहायक नदियाँ प्रवाहित होती हैं |मुख्य नदी को सहायक नदियों के माध्यम से भी जल प्राप्त होता रहता है |
- अमेजन नदी के तट पर ब्राजील में स्थित मनौस बंदरगाह (Manaus Port) दुनिया का अन्तरतम बंदरगाह है |
- अमेजन नदी की घाटी वर्षा वन का क्षेत्र है | इन वर्षा वनों में सदाबहार वृक्षपाए जाते हैं | ये वृक्ष वर्ष भर हरे-भरे रहते हैं |
- विषुवत रेखा पर वर्षभर वर्षा होती रहती है | 00 अक्षांश रेखा पर वर्षभर सूर्य की लम्बवत किरणें पड़ती हैं जिसके कारण विषुवत रेखा के आस-पास स्थित सागर का जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है | सागर के सतह के गर्म होने के कारण जलका वाष्पीकरण हो जाता है|वाष्पीकरण के कारण वायु में आर्द्रता की मात्रा बहुत बढ़ जाती है |
- आर्द्रतायुक्त सागरीय हवाएं जब स्थल की ओर प्रवाहित होती हैं तो एण्डीज पर्वत के पूर्वीतट से टकराकर ऊपर की ओर उठ जाती हैं और संघनित होकर बहुत ज्यादा वर्षा करती हैं| यही कारण है कि विषुवत रेखा के साथ-साथ अमेजन घाटी में वर्ष भरवर्षा होती है|अत्यधिक वर्षा होने के कारण ही अमेजन नदी का उद्भव हुआ है|
- अमेजन घाटी में वर्षभर वर्षा होती है इसलिए यहाँ सदाबहार वृक्ष पाये जाते हैं|विश्व में सबसे सघन सदाबहार वन अमेजन घाटी में ही पाया जाता है| इन्हीं सदाबहार वनों अथवा वर्षा वनों को सेल्वास कहा जाता है |
- रबड़ के वृक्षों की उत्पत्ति सेल्वास के वनों में ही हुई थी|वर्षा वनों में सर्वाधिक मात्रा में महोगनी के वृक्ष पाये जाते हैं|सेल्वास वन,महोगनी के लकड़ी के सबसे बड़े भण्डार के रूप में जाने जाते हैं |
- व्यापारिक पवनें पश्चिम की ओर प्रवाहित होते हुए एण्डीज पर्वत के पूर्वी ढाल से टकराकर अमेजन नदी घाटी में तो वर्षा करती हैं किन्तु एण्डीज पर्वत के पश्चिमी ढालों पर पहुंचने तक वायु में विद्यमान आर्द्रता की मात्रा समाप्त हो जाती है |
- वायु में आर्द्रता न होने के कारण एण्डीज पर्वत के पश्चिमी क्षेत्रों में वर्षा नहीं हो पाती है|यही कारण है कि एण्डीज पर्वत के पश्चिमी भाग में मरूस्थलीय जलवायु पायी जाती है |
- एण्डीज पर्वत के पश्चिम में आटाकामा मरूस्थल का विकास हुआ है|आटाकामा मरूस्थल उत्तरी चिली में अवस्थित है|आटाकामा मरूस्थल विश्व का सबसे शुष्क मरूस्थल है |आटाकाम मरूस्थल में अरीका (Arica) विश्व का सबसे शुष्क प्रदेश है|
- यहाँ प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या कारण है कि दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के पश्चिम में प्रशान्त महासागर स्थित है फिर यहाँ से उठने वाली समुद्री हवाएँ वर्षा क्यों नहीं करती हैं |
- उपर्युक्त प्रश्न के उत्तर के तौर पर स्पष्टत: कहा जा सकता है कि महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर ठण्डी जलधारायें प्रवाहित होती हैं तथा महाद्वीपों के पूर्वी तट पर गर्म जलधारायें प्रवाहित होती हैं |यही कारण है कि दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर पेरू की ठंडी जलधारा प्रवाहित होती है तथा पूर्वी तट पर स्थित ब्राजील की गर्म जलधारा प्रवाहित होती है |
- ठण्डी जलधाराओं में वाष्पीकरण नहीं होता है जिसके कारण यहाँ प्रवाहित होने वाली हवाओं में आर्द्रता की मात्रा नहीं होती है | हवाओं में आर्द्रता न होने के कारण ही पश्चिमी तट से उठने वाली हवाएं वर्षा करने में सक्षम नहीं होती है |
- दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के पश्चिम में स्थित पेरू देश के नाम पर यहाँ प्रवाहित होने वाली जलधारा कोपेरू की जलधारा कहते हैं| इस जलधारा की खोजहम्बोल्ट नामक भूगर्भशास्त्री ने की थी,इसलिए पेरू की जलधारा को हम्बोल्ट की जलधारा भी कहते हैं |
- अमेजन घाटी में वर्षा वन इतने सघन होते हैं कि इसमें सूर्य की किरणें भी प्रवेश नहीं कर पाती हैं जिसके कारण यहाँ के वनों में लताएं पायी जाती हैं |
- पृथ्वी पर जीवन की सबसे ज्यादा परिस्थितियाँ विषुवत रेखा के समीप पायी जाती हैं | विषुवत रेखा पर सूर्य का प्रकाश और वर्षा बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होती है जिसके कारण यहाँ जीवन की विविधता पायी जाती है | इसके विपरीत ध्रुवीय क्षेत्रों में सूर्य का प्रकाश और वर्षा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पाती है| यही कारण है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में जीवन की परिस्थितियां नहीं के बराबर पायी जाती हैं |
- अमेजन के वर्षा वनों में वनस्पतियों और जीवों का बहुत अधिक विकास हुआ है|अमेजन के जंगलों में ही एक प्रकार का अजगर पाया जाता है, इसे एनाकोंडा कहा जाता है | एनाकोंडा दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है |
- विषुवत रेखा के 100उत्तर और दक्षिणअक्षांशों तक के क्षेत्र को उष्णकटिबंधीय क्षेत्र कहते हैं | 100उत्तर अथवा दक्षिण अक्षांशों के बाहर का क्षेत्र उपोष्ण कटिबंध कहलाता है | उपोष्ण कटिबंधों में वर्षा की मात्रा बहुत कम हो जाती है|
- अमेजन के वर्षा वनों अर्थात् सेल्वास के उत्तर एवं दक्षिण में उपोष्ण कटिबंधों में सवाना तुल्य जलवायु पायी जाती है | सवाना तुल्य जलवायु की प्रमुख विशेषता यह है कि यहाँ कंटीले, लम्बे और कठोर घास के मैदान पाये जाते हैं | इन घास के मैदानों को सवाना घास भूमि कहते हैं |
- दक्षिण अमेरिका में सवाना घास भूमि के दो क्षेत्र हैं –
(i) वेनेजुएला और गुयाना
(ii) दक्षिणी ब्राजील
- लानोस दक्षिण वेनेजुएला में सवाना घास भूमि है| यहां कंटीली झाड़ियाँ पायी जाती है |
- कैम्पोस दक्षिणी ब्राजील में सवाना घास भूमि है| यहां भी कंटीली और कठोर झाड़ियाँ पायी जाती हैं |
- अर्जेंटीना और उरूग्वे में प्रेयरी जलवायु अर्थात् शीतोष्ण जलवायु पायी जाती है|शीतोष्ण जलवायु के क्षेत्रों मेंमुलायम और लम्बे घास के मैदान पाये जाते हैं|अर्जेन्टीना और उरूग्वे में प्रेयरी घास के मैदान को पम्पास कहते हैं |
- दक्षिणी ब्राजील से तीन नदियां निकलती हैं और दक्षिण की ओर प्रवाहित होती हैं|इन नदियों का नाम यहां के देशों के नाम पर रखा गया है, जो निम्नलिखित हैं –
(i) पराग्वे नदी (Paraguay)
(ii) पराना नदी (Parana)
(iii) उरूग्वे नदी (Uruguay)
- इन तीनों नदियों के तन्त्र को सम्मिलित रूप से प्लाटा (Plata) कहते हैं |प्लाटा नदी तन्त्र जिस खाड़ी में अपना जल गिराती है, उसे रियो डी ला प्लाटा(Rio de la Plata) कहते हैं|
Sukh Nand Mishra
October 26, 2021, 10:06 pmVery nice and helpful for civil exam
SITESH KUMAR
July 27, 2020, 3:53 pmBhut accha sir