लघु हिमालय और शिवालिक हिमालय

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  • लघु हिमालय वृहद् हिमालय के दक्षिण में, पूर्व से लेकर पश्चिम तक उसके साथ-साथ विस्तृत है |
  • लघु हिमालय की 5 श्रेणियाँ महत्वपूर्ण हैं –पीरपंजाल पर्वत श्रेणी, धौलाधर पर्वत श्रेणी, महाभारत पर्वत श्रेणी, नागटिब्बा पर्वत श्रेणी एवं मसूरी पर्वत श्रेणी |
  • लघु हिमालय के अंतर्गत महत्वपूर्ण पर्वत श्रेणियों की स्थिति निम्नलिखित है –
    पर्वत श्रेणी स्थिति
    i- पीरपंजाल पर्वत श्रेणी जम्मू-कश्मीर
    ii- धौलाधर पर्वत श्रेणी हिमाचल प्रदेश
    iii- महाभारत पर्वत श्रेणी नेपाल
    iv- नागटिब्बा पर्वत श्रेणी नेपाल
    v- मसूरी पर्वत श्रेणी उत्तराखंड
  • लघु हिमालय एवं वृहद् हिमालय के बीच समतल मैदान पाया जाता है, इन्हें खुली घाटी कहते हैं|
  • लघु हिमालय की सबसे पश्चिमी श्रेणी पीरपंजाल कहलाती है| यह जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है|
  • पीरपंजाल पर्वत श्रेणी के उत्तर में श्रीनगर तथा इसके दक्षिण में जम्मू है, यहीं पर वैष्णों देवी मंदिर है|
  • पीरपंजाल पर्वत श्रेणी पर ही बनिहाल दर्रा है, जवाहर सुरंग बनिहाल दर्रे में ही स्थित है|
  • बनिहाल दर्रा जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है|
  • डल झील पीरपंजाल एवं वृहद् हिमालय के मध्य स्थित है|
  • धौलाधर पर्वत श्रेणी को हिमाचल हिमालय भी कहते हैं, क्योंकि यह पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश में ही स्थित है|
  • हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला धौलाधर पर्वत श्रेणी पर ही स्थित है|
  • धौलाधर पर्वत श्रेणी के पूर्व में मसूरी है और मसूरी के पूर्व में नेपाल में नागटिब्बा पर्वत श्रेणी एवं महाभारत पर्वत श्रेणी है|
  • लघु हिमालय वर्ष भर हिमाच्छादित नहीं रहते हैं, शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र होने के कारण यहाँ गर्मियों में बर्फ पिघलने लगते हैं|
  • जहाँ एक ओर वृहद् हिमालय वर्षभर हिमाच्छादित रहता है जिसके कारण यहाँ वनस्पतियां नहीं पाई जाती हैं, वहीं लघु हिमालय शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र होने के कारण लघु हिमालय की ढालों पर शीतोष्ण मुलायम घास के मैदान पाये जाते हैं|
  • लघु हिमालय के अंतर्गत शीतोष्ण मुलायम घास के मैदानों को जम्मू-कश्मीर में ‘मर्ग’ कहते हैं उदाहरण के लिए – गुलमर्ग एवं सोनमर्ग आदि|
  • लघु हिमालय के अंतर्गत शीतोष्ण मुलायम घासों को उत्तराखण्ड में बुग्याल एवं पयाल के नाम से जाना जाता हैं|
  • शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र होने के कारण लघु हिमालय पर अनेक स्वास्थ्यवर्धक पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है| विभिन्न राज्यों में इन पर्यटन स्थलों का विवरण निम्नलिखित है –
    राज्य पर्यटन स्थल
    जम्मू-कश्मीर गुलमर्ग, सोनमर्ग
    हिमाचल प्रदेश शिमला, मनाली, डलहौजी
    उत्तराखण्ड मसूरी, रानीखेत, नैनीताल,विंडसर

     

  • वृहद् हिमालय एवं लघु हिमालय के बीच समतल-सपाट घाटियाँ पायी जाती हैं, इन घाटियों को अलग-अलग स्थानों पर स्थानीय नाम से जाना जाता है| जैसे –
    जम्मू-कश्मीर – कश्मीर घाटी
    हिमाचल प्रदेश – कुल्लू-कांगड़ा घाटी
    नेपाल – काठमांडू घाटी

शिवालिक हिमालय

  • शिवालिक हिमालय, हिमालय की सबसे नवीन पर्वत शृंखला है और अन्य तीनों पर्वत शृंखलाओं में सबसे कम ऊँचाई वाला क्षेत्र है |
  • शिवालिक हिमालय को बाह्य हिमालय भी कहा जाता है |
  • वृहद् हिमालय को आन्तरिक हिमालय कहते हैं |
  • शिवालिक हिमालय श्रेणी का स्वतंत्र अस्तित्व कोशी नदी तक ही दिखाई देता है, कोशी नदी के पूर्व में शिवालिक हिमालय, लघु हिमालय से बिल्कुल सम्बद्ध हो गया है, क्योंकि हिमालय का विस्तार पूर्व में अत्यंत संकरा है |
  • कोशी नदी नेपाल से निकलकर भारत के बिहार राज्य में प्रवेश करती है और गंगा नदी से मिल जाती है|
  • अरुणाचल प्रदेश में शिवालिक चार अलग-अलग पहाड़ियों के रूप में बिखरा हुआ नजर आता है| पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमश: इनके नाम हैं –डफला, मिरी, अबोर और मिश्मी|
  • डफला, मिरी, अबोर और मिश्मी पहाड़ियों का नामकरण यहाँ रहने वाली जनजातियों के नाम पर रखा गया है|
  • लघु हिमालय एवं शिवालिक हिमालय के मध्य घाटियों को उत्तराखण्ड में दून एवं द्वार कहा जाता है| जैसे – देहरादून, हरिद्वार आदि |
  • हिमालय पश्चिमी और पूर्वी छोर पर दक्षिण की ओर मुड़ा हुआ है| पश्चिमी छोर सिन्धु गार्ज के पास एवं पूर्वी छोर दिहांग गार्जके पास स्थित है| दिहांग ब्रह्मपुत्र नदी को ही कहा जाता है|
  • खड़ी ढाल वालें घाटी को आई (I)आकार की घाटी , गार्ज या कैनियन कहते हैं|
  • भारत में एंथ्रेसाइट कोयले का भण्डार कारगिल में जास्कर पहाड़ी के अंर्तगत पाया जाता है|

 

 

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