भारत की मिट्टियाँ : भाग-1

भारत की मिट्टियाँ Download

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (Indian Council of Agricultural Research – ICAR) का मुख्यालय नई दिल्लीमें है|
  • भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (Indian Institute of soil Science) का मुख्यालय भोपाल में है |

          ICAR ने भारत में 8 प्रकार की मिट्टियों की पहचान की है

(i)     पर्वतीय मिट्टी

(ii)    जलोढ़ मिट्टी

(iii)   काली मिट्टी

(iv)   लाल मिट्टी

(v)    लैटेराइट मिट्टी

(vi)   मरूस्थलीय मिट्टी

(vii)  पीट एवं दलदली मिट्टी

(viii) लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी

Soil Types
Soil Types

          भारत में सर्वाधिक क्षेत्र में पाई जाने वाली चार प्रकार की मिट्टियाँ इस प्रकार हैं –

(a)    जलोढ़ मिट्टी (43%)

(b)    लाल मिट्टी (18%)

(c)    काली मिट्टी (15%)

(d)    लैटेराइट मिट्टी (3.7%)

Major Soil Types
Major Soil Types
  • भारत की मिट्टियों में ह्यूमस, नाइट्रोजन और फास्फोरस तत्वों की कमी पायी जाती है|

जलोढ़ मिट्टी

  • इसे कॉप मिट्टी या कछारी मिट्टी भी कहते हैं | जलोढ़ मिट्टी भारत में सर्वाधिक 43% क्षेत्रफल में विस्तृत है |

          जलोढ़ मिट्टी मुख्य रूप से भारत में दो स्थानों पर पायी जाती है

(a)    उत्तर भारत के मैदान में

(b)    तटीय क्षेत्रों में

  • उत्तर भारत के मैदान में जलोढ़ मिट्टी सतलज के मैदान से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र के मैदान तक पायी जाती है |
  • तटीय मैदान के अन्तर्गत जलोढ़ मिट्टी महानदी, कावेरी, गोदावरी और कृष्णा नदियोंके डेल्टा क्षेत्रों तथा पश्चिमी तटीय मैदान में केरल और गुजरात में पायी जाती हैं |
  • जलोढ़ मिट्टी नदियों द्वारा पर्वतों से बहाकर लाई जाती है और मैदानी क्षेत्रों में निक्षेपित कर दी जाती है |

          जलोढ़ मिट्टी दो प्रकार की होती है –

(i)     खादर         

(ii)    बांगर

(i)     खादर – नदियों के आस पास के क्षेत्र की जलोढ़ मिट्टी खादर कहलाती है |

  • नदियों द्वारा प्रत्येक वर्ष बाढ़ से मिट्टियों को बहाकर लाया जाता है और निक्षेपित कर दिया जाता है,जिसके कारण खादर मिट्टी प्रत्येक वर्ष नवीन हो जाती है |
  • नदियों से दूर कुछ ऊँचे क्षेत्र के पुराने जलोढ़ को बांगर कहते हैं|
  • भारत की मिट्टियों में जलोढ़ मिट्टी सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है| जलोढ़ मिट्टी में भी खादर मिट्टी सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी है |
  • बांगर क्षेत्र में खुदाई करने पर कैल्शियम कार्बोनेट की ग्रन्थियां (कंकड़) मिलती हैं |जलोढ़ मिट्टी में भी ह्यूमस, नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी पायी जाती है |
  • जलोढ़ मिट्टी में पोटैशियम और चूना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है |

लाल मिट्टी

  • भारत में दूसरा सबसे बड़ा मृदा वर्ग (लगभग 18% ) लाल मिट्टी का है | लोहे के आक्साइट के कारण इसका रंग लाल होता है |
  • भारत के पूर्वी पठारी भाग में सर्वाधिक लाल मिट्टी पायी जाती है| यह मिट्टी तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग, छत्तीसगढ़, ओड़िशा और झारखण्ड के व्यापक क्षेत्रों में तथा पश्चिमी बंगाल, दक्षिणी उत्तर-प्रदेश तथा राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में पायी जाती है |
  • लाल मिट्टी में भी नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा ह्यूमस की कमी पायी जाती है |
  • लाल मिट्टी प्रायद्वीपीय भारत के कम वर्षा वाले क्षेत्रों की मिट्टी है |
  • यह अपेक्षाकृत कम उपजाऊ मिट्टी है, इसलिए ये मोटे खाद्यान्न जैसे- ज्वार, बाजरा आदि फसलों के लिए उपयुक्त होती है |

 

काली मिट्टी

  • काली मिट्टी को काली कपास मिट्टी, रेगुर मिट्टीऔरलावा मिट्टी के नाम से भी जानते हैं |
  • उत्तर प्रदेश में इसे करेल मिट्टी कहते हैं |अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम नाम दिया गया है |
  • काली मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहते हैं, क्योंकि इसका निर्माण ज्वालामुखी विस्फोट से निकले लावा के ठण्डे होने के उपरान्त बेसाल्ट लावा के अपक्षय से हुआ है |
  • दक्कन पठार के अलावा काली मिट्टी मालवा पठार के क्षेत्रों में भी पाई जाती है, अर्थात् काली मिट्टी मालवा पठार की प्रमुख मिट्टी है |
  • काली मिट्टी का भौगोलिक विस्तार सर्वाधिक महाराष्ट्र राज्य में है |किन्तुकाली मिट्टी का विस्तार गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र, ओड़िशा के दक्षिणी क्षेत्र, कर्नाटक के उत्तरी जिलों, आंध्र प्रदेश के दक्षिणी एवं समुद्र तटीय क्षेत्र, तमिलनाडु के सालेम, रामनाथपुरम कोयम्बटूर एवं तिरून्नवेली जिलों, राजस्थान के बूंदी एवं टोक जिलों में और छत्तीसगढ़ के पठारी क्षेत्र तक फैली हुई है |
  • काली मिट्टी में जल धारण करने की सर्वाधिक क्षमता होती है, अर्थात् थोड़ी वर्षा होने पर भी ये मिट्टी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने के उपरान्त इस पर मोटी – मोटी दरार भी पड़ जाती है | काली मिट्टी के इसीगुण के कारण इसे स्वत: जोताई वाली मिट्टी भी कहा जाता है |
  • काली मिट्टी को कपासी मिट्टी भी कहते हैं, क्योंकि यह मिट्टीकपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी है |
  • गुजरात राज्य में सर्वाधिक कपास उत्पादन होता है, जबकि कपास मिट्टी का क्षेत्र सर्वाधिक महाराष्ट्र में है |
  • काली मिट्टी शुष्क खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मिट्टीहोती है, क्योंकि इसमें जल धारण करने की क्षमता अधिक होती है |

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Vijesh lotan
July 18, 2021, 8:35 pm

Soil is best

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Chetak bahu
December 26, 2020, 2:20 pm

आपने बहुत सटीक जानकारी दी है मिट्टी के प्रकार को लेकर. लोगों को अच्छे तरीके से समझाने के लिए मिट्टियों soil को मानचित्र में अंकित करें ओर post में प्रकाशित करें। Aurthor Deepak Chandel Owner: Studydream.in

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mangeshsrivas
July 20, 2020, 9:05 pm

nyc

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Naresh choudhary
March 5, 2020, 8:10 am

Very very lovely video dear sir❤❤

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DILIP KUMAR
February 27, 2020, 8:00 pm

Best teaching sir

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Ranjeeta Rao
February 25, 2020, 12:29 am

Very nice video sir

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अनिल
February 8, 2020, 7:10 am

Very very nice vidio