दक्षिणी-पश्चिमी मानसून
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- जब पश्चिमोत्तर भारत में विकसित अंत: उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) बहुत शक्तिशाली हो जाता है, तो दक्षिणी गोलार्द्ध हिन्द महासागर की आर्द्रता वाली हवाओं को खींच लेता है और साथ ही दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनों को भी खींच लेता है|
- फेरल के नियम के अनुसार,दक्षिणी गोलार्द्ध में हवाएँ अपने बायीं तरफ तथा उत्तरी गोलार्द्ध में हवाएँ अपनी दायीं ओर घूम जाती हैं| ऐसा कोरियोलिज्म बल के कारण होता है|
- चूँकि ये हवाएँ भारत में दक्षिण-पश्चिम की ओर से प्रवेश करती हैं, इसलिए इसे भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं| हिन्द महासागर के ऊपर से आने के कारण इन हवाओं में पर्याप्त आर्द्रता होती है|
- दक्षिण-पश्चिमी मानसून सबसे पहले केरल के मालाबार तट पर टकराता है|
- दक्षिण-पश्चिमी मानसून केरल में सबसे पहले 1 जून को पहुंचता है और वर्षा करता है| इसके पश्चात् दक्षिण-पश्चिमी मानसून द्वारा पूरे पश्चिमी तट पर वर्षा होती है|
- दक्षिण-पश्चिमी मानसून केरल में 1 जून को वर्षा करता है और 15 जुलाई आते-आते पूरा भारतीय उपमहाद्वीप दक्षिण-पश्चिमी मानसून के प्रभाव क्षेत्र में आ जाता है|
- भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून से होने वाली वर्षा 1 जून को प्रारम्भ होती है और 15 सितम्बर तक भारत में वर्षा होती रहती है|
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून भारत में दो शाखाओं के रूप में प्रवेश करता है –
- अरब सागर शाखा
- बंगाल की खाड़ी शाखा
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा
- दक्षिण-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा केरल में पश्चिमी घाट पर्वत से टकराकर 1 जून को सबसे पहले केरल के मालाबार तट पर वर्षा करती है| इसके बाद अरब सागर शाखा पूरे पश्चिमी तटीय मैदान पर वर्षा करती है| अरब सागर शाखा द्वारा गुजरात से कन्याकुमारी तक पूरे पश्चिमी तट पर वर्षा प्राप्त होती है|
- जब 1 जून को अरब सागर शाखा मालाबार तट पर वर्षा करती है, तो इस घटना को मानसून प्रस्फोट या मानसून धमाका कहते हैं|
- भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से होने वाली वर्षा मुख्य रुप से स्थलाकृतियों जैसे- पर्वतों औरपहाड़ियों आदि द्वारा निश्चित होती है, क्योंकि जब हवाएँ पहाड़ियों से टकराकर ऊपर उठती हैं तो हवाओं के तापमान में कमी आती है और जैसे-जैसे हवाओं के तापमान में कमी आती-जाती है, हवाएँ अपनी नमी को पहाड़ों की ढाल में छोड़ देती हैं|
- दक्षिणी-पश्चिमी मानसून जब पहाड़ियों से टकराता है, तो हवाएँ पहाड़ों के ढाल के सहारे ऊपर उठती चली जाती हैं और ऊपर उठने के क्रम में हवाओं के तापमान में कमी आ जाती है| इसे एडियाबेटिक ताप ह्रास कहते हैं|
- एडियाबेटिक तापह्रास के कारण हवाओं के तापमान में इतनी कमी आ जाती है कि हवाएँ अपनी सारी नमी पहाड़ी के ढाल में छोड़ देती हैं| इसे पर्वतीय वर्षा कहते हैं|उदाहरण के लिए – जब दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा पश्चिमी घाट से टकराती है, तो पश्चिमी घाट पर्वत से टकराने के पश्चात् ऊपर उठती है और एडियाबेटिक ताप ह्रास के चलते अपनी सारी नमी पश्चिमी तटीय मैदान में छोड़ देती है|
- यही कारण है कि गुजरात तट से लेकर कन्याकुमारी तट तक अरब सागर शाखा पश्चिमी तटीय मैदान पर वर्षा करती है|
- पश्चिमी तटीय मैदान में सबसे ज्यादा वर्षा मालाबार तट में होती है, क्योंकि अरब सागर शाखा सबसे पहले पश्चिमी घाट से केरल में टकराती है और 1 जून से लेकर 15 सितम्बर तक मालाबार तट में वर्षा होती रहती है|
- पश्चिमी तट पर होने वाली वर्षा दक्षिण से उत्तर की ओर घटती चली जाती है, अर्थात् पश्चिमी तटीय मैदान के दक्षिणी भाग में अधिक वर्षा होती है और महाराष्ट्र में कम वर्षा होती है, क्योंकि पश्चिमी घाट की दक्षिणी पहाड़ियाँ अपेक्षाकृत अधिक ऊँची हैं|
- दक्षिण-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा पश्चिमी तटीय मैदान पर वर्षा करने के पश्चात् नर्मदा तथा तापी की भ्रंश घाटी में प्रवेश करती है और आगे पूरब की ओर बढ़ते हुए ये हवाएँअमरकंटक पठारतक वर्षा करने में सक्षम होती है|
- अरब सागर शाखा उत्तर में प्रवाहित होते हुए गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में गिर और माण्डव की पहाड़ियों से टकराकर सौराष्ट्र क्षेत्र में वर्षा करती है| यही कारण है कि गुजरात का अधिकांश क्षेत्र सूखाग्रस्त होने के बावजूद भी सौराष्ट्र क्षेत्र की पहाड़ियाँ हरे-भरे जंगलों से ढकी हुई हैं|
- गिर और माण्डव की पहाड़ियों से टकराने के पश्चात् अरब सागर शाखा गुजरात के उत्तर में प्रवाहित होती है और अरावली पर्वत श्रेणी के गुरू शिखर चोटी से टकरा जाती है| यही कारण है कि दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा राजस्थान के माउण्ट आबू में वर्षा करती है|
- दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा पूरे अरावली पर्वत श्रेणीमें वर्षा नहीं करती है, क्योंकि अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार अरब सागर शाखा के हवाओं के समानान्तर है, अर्थात् हवाएँ अरावली पर्वत श्रेणी के समानान्तर से निकल जाती हैं| यही कारण है कि अरब सागर शाखा से राजस्थान में वर्षा नहीं होती है|
sushil Kumar sahu
July 13, 2024, 6:57 amGood
SITESH KUMAR
June 16, 2020, 12:14 pmThanks sir ji
K. K. Verma
May 11, 2020, 6:52 amUnderstood sir, Thank You
Vinod sharma
March 14, 2020, 1:54 pmसर आज तक आप जैसा पढ़ाने वाला नहीं देखा जो इतने सिटोमेटिक तरीके पढ़ते से पढ़ाते हो