प्रायद्वीपीय भारत का पठार – 3

प्रायद्वीपीय भारत का पठार : भाग-3 Download

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पश्चिमी घाट पर्वत

  • पश्चिमी घाट पर्वत तापी नदी के मुहाने से शुरू होकर दक्षिण में केपकेमोरिन तक विस्तृत है, केपकेमोरिन को ही कन्याकुमारी कहते हैं|
  • पश्चिमी घाट पर्वत का विस्तार उत्तर से दक्षिण की ओर है| उत्तर से दक्षिण तक इसकी कुल लम्बाई लगभग 1600 किमी. है|
  • पश्चिमी घाट पर्वत भारत में हिमालय के बाद दूसरा सबसे लम्बा पर्वत है|
  • पश्चिमी घाट पर्वत को सह्याद्रि भी कहते हैं|
  • पश्चिमी घाट पर्वत वास्तव में पर्वत न होकर प्रायद्वीपीय भारत के पठार का पश्चिमी भ्रंश कगार है|
  • पश्चिमी भ्रंश कगार का निर्माण इंडियन प्लेट के अफ्रीकन प्लेट से टूटकर अलग होने के परिणाम स्वरूप हुआ था|
  • उत्तरी सह्याद्रि की सबसे ऊँची चोटी काल्सुबाई है|
  • काल्सुबाई चोटी के दक्षिण में पश्चिमी घाट पर महाबलेश्वर चोटी स्थित है|
  • महाबलेश्वर चोटी और काल्सुबाई चोटी महाराष्ट्र राज्य में स्थित है|
  • गुजरात राज्य के अंतर्गत सौराष्ट्र क्षेत्र में तीन पहाड़ियां स्थित हैं –
    (i) गिर पहाड़ी

    (ii) बारदा पहाड़ी

    (iii) मांडव पहाड़ी

  • गुजरात के गिर क्षेत्र में एशियाई शेर पाये जाते हैं|
  • कृष्णा नदी महाबलेश्वर चोटी से निकलकर पूरब की ओर प्रवाहित होती है और बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है|
  • कर्नाटक राज्य में पश्चिमी घाट पर मुख्य रूप से दो चोटियाँ स्थित हैं –
    (i) कुद्रेमुख चोटी

    (ii) ब्रह्मगिरी चोटी

  • कर्नाटक राज्य में ब्रह्मगिरी चोटी से ही कावेरी नदी निकलती है और कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्य में प्रवाहित होती है|
  • दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट पर्वत और पूर्वी घाट पर्वत एक-दूसरे से मिलकर एक पर्वतीय गाँठ का निर्माण करते हैं, इस पर्वतीय गाँठ को नीलगिरी पर्वत कहते हैं|
  • नीलगिरी पर्वत की सबसे ऊँची चोटी डोडाबेटा है|
  • नीलगिरी पर्वत का विस्तार तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक राज्यों में है|
  • डोडाबेटा दक्षिण भारत का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है|
  • प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ऊंटी या ऊटक मंडल तमिलनाडु राज्य में नीलगिरी पहाड़ियों पर ही स्थित है|
  • केरल का प्रसिद्ध सदाबहार वन साइलेंट वैली अथवा शांत घाटी नीलगिरी पहाड़ियों पर ही स्थित है|
  • साइलेंट वैली अपनी जैव विविधता और घने जंगलों के लिए जाना जाता है|
  • नीलगिरी के दक्षिण में एक पर्वतीय दर्रा है, इसे पालघाट दर्रा कहते हैं|
  • पालघाट दर्रा को स्थानीय रूप से पलक्काड़ दर्राकहते हैं|
  • पालघाट दर्रे से होते हुए केरल एवं तमिलनाडु राज्य को सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा जोड़ा गया है|
  • पालघाट दर्रे के दक्षिण में एक अन्य पर्वतीय गांठ स्थित है, जिसे अनाइमुदी पर्वतीय गांठ कहते हैं|
  • अनाइमुदी पर्वतीय गांठ से तीन दिशाओं में पहाड़ियां निकली हुयी हैं –
    (i) उत्तर की ओर अन्नामलाई

    (ii) दक्षिण की ओर कार्डामम

    (iii) उत्तर-पूरब की ओर पालनी पहाड़ी

  • अन्नामलाई पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी अनाइमुदी है| कार्डामम पहाड़ी को इलायची पहाड़ी या इलामलय पहाड़ी भी कहा जाता है|
  • कार्डामम पहाड़ी भारत की दक्षिणतम पहाड़ी है|
  • अनाइमुदी चोटी के पूरब में पालनी की पहाड़ी है, पालनी की पहाड़ी मुख्य रूप से तमिलनाडु राज्य में स्थित है|
  • प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोडाइकनाल तमिलनाडु राज्य में पालनी पहाड़ियों पर ही स्थित है|
  • पालनी की पहाड़ी पूरी तरह से तमिलनाडु राज्य में विस्तृत है, जबकि अन्नामलाई पहाड़ी और कार्डामम पहाड़ी तमिलनाडु और केरल राज्य की सीमा पर स्थित है|
  • पश्चिमी घाट पर्वत पर जगह-जगह दर्रे पाये जाते हैं, इन दर्रों से होकर पश्चिमी घाट पर्वत को पश्चिम से पूरब दिशा कि ओर पार करने में सहायता मिलती है|
  • थालघाट दर्रा पश्चिमी घाट पर महाराष्ट्र राज्य में स्थित है| थालघाट दर्रे से होकर ही मुंबई-नागपुर सड़क मार्ग गुजरती है|
  • भोरघाट दर्रा पश्चिमी घाट पर महाराष्ट्र राज्य में ही स्थित है| भोरघाट दर्रे से होकर ही मुंबई से पुणे जाने वाली सड़क मार्ग गुजरती है|
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – 4 मुंबई से पुणे होते हुए चेन्नई पहुँचती है, यह राजमार्ग भी भोरघाट दर्रे से होकर गुजरता है|
  • पालघाट दर्रा नीलगिरी एवं अन्नामलाई पहाड़ियों के बीचो-बीच केरल राज्य में स्थित है|
  • शेनकोट्टा दर्रा कार्डामम पहाड़ी पर स्थित है| यह केरल राज्य में स्थित है|
  • तिरूअनंतपुरम् से मदुरै जाने वाली सड़क शेनकोट्टा दर्रे से ही होकर गुजरती है|

पूर्वी घाट पर्वत

  • पूर्वी घाट पर्वत पश्चिमी घाट पर्वत की तरह क्रमबद्ध एवं निरन्तर न होकर जगह-जगह पर कटा-छंटा है|
  • प्रायद्वीपीय भारत के पठार का ढाल पूरब की तरफ है, जिसके कारण प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलकर पूर्वी तट पर प्रवाहित होती हैं| जैसे – महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियाँ|
  • पूरब की ओर प्रवाहित होने के कारण महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों ने पूर्वी घाट पर्वत को जगह-जगह काट-छांट दिया है|
  • गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा के बीच में पूर्वी घाट पर्वत बिल्कुल समाप्त हो गया है|
  • पूर्वी घाट पर्वत को अलग-अलग राज्यों में स्थानीय नाम से जाना जाता है| जैसे –
    आंध्र प्रदेश में – नल्लामलाई, पालकोंडा और वेलिकोंडा

    तेलंगाना में – शेषाचलम

    तमिलनाडु – जावादी, शेवाराय, पंचामलाई और सिरुमलाई

  • तमिलनाडु की पहाड़ियाँ चार्कोनाइट चट्टानों से निर्मित हैं|
  • नीलगिरी पर्वत समेत तमिलनाडु की पहाड़ियों पर चंदन और सागौन के वृक्ष बहुतायत मात्रा में पाये जाते हैं|

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